लेखनी कहानी - महाभारत और रामायण की कुछ लघु कथाएँ
अहिरावण
अहिरावण रावण का भाई था जो की पाताल लोक पर राज्य करता था और जादू और छलावे की कला में महारथ हासिल किये हुए था | जब इन्द्रजीत की मौत हुई और रावण को हार सामने दिखाई दी तो उसने अहिरावण को मदद करने के लिए कहा | अहिरावण ने राम और लक्ष्मण को जिंदा पकड़ देवी महामाया को बलि चड़ा देने का वादा किया | विभीषण को अहिरावण के इरादों का पता चल जाता है और वह राम और लक्ष्मण को उसकी जानकारी देते हैं और हनुमान को उन पर नज़र रखने को कहते हैं | वह हनुमान को चेतावनी देते हैं की अहिरावण कोई भी रूप धर सकता है इसलिए उससे सावधान रहे | अहिरावण कई रूपों में राम और लक्ष्मण के महल में घुसने की कोशिश करता है लेकिन हनुमान उसको बार बार पकड़ लेते हैं | अंत में वह विभीषण का रूप लेता है और हनुमान भी उस पर यकीन कर लेते हैं | वह महल में जा कर राम और लक्ष्मण को पाताल लोक ले जाने में सफल हो जाता है |
जब हनुमान को मालूम पड़ता है की अहिरावण ने उन्हें धोखा दिया है तो वह विभीषण को वादा करते हैं की वह राम और लक्ष्मण को ढूँढ लेंगे और अहिरावण को भी मार देंगे | हनुमान पाताल लोक में जा अहिरावण का महल ढूँढते हैं | उन्हें सबसे पहले रक्षक मकरध्वज का सामना करना पड़ता है जो की आधा वानर , आधा मछली था और एक रिश्ते से हनुमान का पुत्र भी था | अपने बेटे को हरा हनुमान अहिरावण के महल में जाते हैं तो उन्हें पता चलता है की अहिरावण को मारने के लिए पांच अलग दिशाओं में स्थित पांच दिए बुझाने पड़ेंगे | इस समय पर हनुमान पंचमुख अन्जनेया रूप धारण करते हैं |
हनुमान के चार मुख हनुमान ,वराह ,गरुड़ और नरसिम्हा पूरब ,दक्षिण ,पश्चिम और उत्तर को मुंह कर रहे हैं जबकि पांचवा चहरा हयग्रीव ऊपर की तरफ देख रहा है | इस रूप में हनुमान पाँचों दीयों को एक साथ बुझा पाते हैं और फिर अहिरावण को मौत के घाट उतार देते हैं |